मुंबई, 30 अक्टूबर। बॉलीवुड में कुछ कलाकार ऐसे होते हैं जिनकी पहचान केवल उनके काम से नहीं, बल्कि उनके संघर्ष और दृढ़ता से भी होती है। सिकंदर खेर भी ऐसे ही एक अभिनेता हैं। वह प्रसिद्ध अभिनेत्री किरण खेर और अनुपम खेर के बेटे हैं।
सिकंदर ने कभी भी अपने परिवार की प्रसिद्धि का सहारा नहीं लिया, बल्कि उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा से खुद को स्थापित किया। 31 अक्टूबर 1982 को दिल्ली में जन्मे, चंडीगढ़ में बड़े हुए और मुंबई की चमक-दमक में परखे गए इस अभिनेता की यात्रा थिएटर से शुरू हुई, जहां उन्होंने एनएसडी के मंच पर अपने कौशल को निखारा।
उन्होंने 2008 में 'वुडस्टॉक विला' से बॉलीवुड में कदम रखा और संजय लीला भंसाली की 'देवदास' में सहायक निर्देशक के रूप में काम किया। 'औरंगजेब' में एक प्रभावशाली इंस्पेक्टर की भूमिका और 'आर्या' सीरीज में दौलत के गहरे रंग ने साबित किया कि वह केवल एक 'स्टार किड' नहीं हैं, बल्कि एक सच्चे कलाकार हैं। थिएटर की सादगी और ओटीटी की चमक के बीच, सिकंदर ने अपनी खुद की राह बनाई है। वह 'मंकी मैन' जैसी हॉलीवुड फिल्म में भी नजर आ चुके हैं।
सिकंदर की यात्रा में एक ओर शाहरुख खान जैसे बड़े सितारे के साथ काम करने का अनुभव है, तो दूसरी ओर उनकी मां किरण खेर का अनोखा ऑफर, जो उनकी अभिनय प्रतिभा में गहरे विश्वास को दर्शाता है।
अभिनेता बनने से पहले, सिकंदर ने फिल्म निर्माण की बारीकियों को समझने के लिए पर्दे के पीछे काम किया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण संजय लीला भंसाली की 'देवदास' है, जहां उन्होंने सहायक निर्देशक के रूप में काम किया।
एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उस समय उन्हें अपने खुद के कैमरे की आवश्यकता थी। उनके पास कैमरा नहीं था, तब शाहरुख खान ने अपना हैंडीकैम उन्हें दिया। इस कैमरे की मदद से सिकंदर ने फिल्म के कई बीटीएस वीडियो शूट किए, जिसमें वह सीन भी शामिल था, जिसमें शाहरुख खान की उंगली चोटिल हो गई थी।
फिल्मी करियर की शुरुआत में मिली सफलता के बाद, सिकंदर को लंबे समय तक काम नहीं मिला। इस कठिन दौर में उन्होंने अपने माता-पिता की मदद नहीं ली।
इस दौरान, उनकी मां किरण खेर ने उन्हें जो भरोसा दिया, वह किसी भी 'गॉडफादर' से अधिक मूल्यवान था। सिकंदर ने एक बार कहा कि उनकी मां उनकी अभिनय क्षमता की सबसे ईमानदार आलोचक रही हैं। जब वह अपने भविष्य को लेकर चिंतित थे, तो किरण खेर ने उन्हें आश्वासन दिया कि, "तुम एक्टिंग में लगे रहो। अगर मुझे कभी लगा कि तुम वाकई में एक बुरे एक्टर हो, तो मैं तुम्हारा एक्टिंग करियर छुड़वाकर तुम्हारे लिए एक पेट्रोल पंप खोल दूंगी।"
यह बात दर्शाती है कि किरण खेर को अपने बेटे की प्रतिभा पर कितना विश्वास था, और उन्हें पता था कि सिकंदर कभी भी उस 'पेट्रोल पंप' की जरूरत नहीं पड़ने देंगे।
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